Thursday, November 9, 2017
Tuesday, January 24, 2017
ये हैं श्मशान व तंत्र साधना से जुड़ी ये 5 बातें, क्या जानते हैं आप?
तंत्र क्रियाओं का नाम सुनते ही जहन में अचानक श्मशान का चित्र उभर आता है। जलती चिता के सामने बैठा तांत्रिक, अंधेरी रात और मीलों तक फैला सन्नाटा। आखिर क्यों अधिकांश तंत्र क्रियाएं श्मशान में ही की जाती हैं। यदि आपके मन में भी ये सारे सवाल हैं तो और जानिए क्यों ये साधनाएं श्मशान में ही की जाती हैं।
-------------------------------------
-------------------------------------
शान नदी किनारे होना इसलिए जरुरी है क्योकि पानी सूजन का प्रतीक है पवित्र भी है और ब्रह्म भी मन जाता है
-------------------------------------
शान में नेगेटिव एनर्जी बहुत होती है इसके आस पास मंदिर होने से इस पर आसानी से नियंत्रण पाया जा सकता है
-------------------------------------
शमशान में पॉजिटिव व् नेगटिव दोनों शक्तिया होती है यहाँ तंत्र द्वारा नेगेटिव एनेर्जी को पॉजिटिव में बदला जा सकता है
-------------------------------------
इस नेगिटिव एनर्जी को इन्ही दो कारणों (नदी व् मंदिर) से तांत्रिक पॉजिटिव में बदल देते है विशेष साधनाओ से ही ये संभव है
-------------------------------------
कौन-से भगवान की करनी चाहिए कितनी परिक्रमा, ध्यान रखें ये जरूरी बातें, -पुराणिक ग्रन्थ
पूजा करते समय देवी-देवताओं की परिक्रमा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है भगवान की परिक्रमा
से अक्षय पुण्य मिलता है और पाप नष्ट होते हैं। इस परंपरा के पीछे धार्मिक महत्व के साथ ही वैज्ञानिक महत्व भी है। जिन मंदिरों
में पूरे विधि-विधान के साथ देवी-देवताओं की मूर्ति
स्थापित की जाती है, वहां मूर्ति के आसपास दिव्य शक्ति हमेशा सक्रिय रहती है। मूर्ति की परिक्रमा करने से उस शक्ति से हमें भी ऊर्जा मिलती है। इस ऊर्जा से मन शांत होता है। जिस दिशा में घड़ी की सुई घुमती है, उसी दिशा में परिक्रमा
करनी चाहिए, क्योंकि दैवीय ऊर्जा का प्रवाह
भी इसी प्रकार रहता है।
-------------------------------------
किस भगवान की कितनी परिक्रमा करना चाहिए
शास्त्रों के अनुसार श्रीकृष्ण की 3 परिक्रमा करनी चाहिए। देवी की 1 परिक्रमा करनी चाहिए। शिवजी की आधी परिक्रमा करनी चाहिए, क्योंकि शिवजी के अभिषेक की धारा को लाघंना अशुभ माना जाता है।
परिक्रमा करते समय ध्यान रखनी चाहिए ये बातें
1. जिस देवी-देवता की परिक्रमा की जा रही है, उनके मंत्रों का जप करना चाहिए।
2. भगवान की परिक्रमा करते समय मन में बुराई, क्रोध, तनाव जैसे भाव नहीं होना चाहिए।
3. परिक्रमा नंगे पैर ही करना चाहिए।
4. परिक्रमा करते समय बातें नहीं करना चाहिए। शांत मन से परिक्रमा करें।
5. परिक्रमा करते समय तुलसी, रुद्राक्ष आदि की माला पहनेंगे तो बहुत शुभ रहता है।
ये हैं शनिदेव के 9 वाहन, कोई बनाता है मालामाल तो कोई कंगाल
ज्योतिषियों के अनुसार,जनवरी 2017 को शनि राशि परिवर्तन कर तुला से मकर में प्रवेश करेगा। इसका असर सभी राशियों पर अलग-अलग दिखाई देगा। ज्योतिष शास्त्र में शनि को न्यायाधीश कहा गया है यानी मनुष्यों के अच्छे-बुरे कामों का फल शनिदेव ही उसे देते हैं। शनिदेव जिस वाहन पर सवार होकर किसी की राशि में प्रवेश करते हैं, उसी के अनुसार उसे अच्छे-बुरे फल की प्राप्ति होती है।
-------------------------------------
शनि चालीसा में शनिदेव के 7 वाहनों के बारे में बताया गया है। इसके अलावा शनिदेव के अन्य वाहन भी हैं। मान्यता है कि शनिदेव जिस वाहन पर सवार होकर किसी की राशि में जाते हैं तो उस वाहन के अनुसार ही उसे फल प्राप्त होते हैं। शनिदेव के वाहनों की जानकारी इस प्रकार है-
-------------------------------------
1.सवारी हाथी:- ज्योतिष के अनुसार, जब शनिदेव हाथी पर सवार होकर आते है तो उनके साथ धन की देवी लक्ष्मि का भी आगमन होता है
1.सवारी हाथी:- ज्योतिष के अनुसार, जब शनिदेव हाथी पर सवार होकर आते है तो उनके साथ धन की देवी लक्ष्मि का भी आगमन होता है